विरासत में मिला वन्यजीव सेवा का संस्कार-बिश्नोई न्यूज़ - Jambhani Samachar

Breaking

Post Top Ad

Post Top Ad

Saturday 24 September 2016

विरासत में मिला वन्यजीव सेवा का संस्कार-बिश्नोई न्यूज़

उसके बचपन में ही पिता का साया उठ गया, इस दर्द को मिटाने के लिए बन गई घायल जीवों की 'मां '

बिश्नोई न्यूज़ राजस्थान पत्रिका जोधपुर एक कहावत है, अपनी कमी को यदि मजबूती प्रदान की जाए, तो वह ताकत बनकर उभरती है। इसी कहावत को चरितार्थ किया जोधपुर जिले के बिलाड़ा कस्बे के पास मतवालों की ढाणी निवासी निरमा विश्नोई ने।

बचपन में ही आर्थिक संकट और अभाव के दर्द और अन्य खामियों को ममत्व का साधन बनाकर घायल वन्यप्राणियों को जीवन दान में योगदान देने वाली निरमा के सिर से पिता का साया मात्र 5 वर्ष की उम्र में उठ गया था। मां सतकी देवी का सहारा बनने के लिए निरमा ने जी तोड़ संघर्ष किया।

विरासत में मिला वन्यजीव सेवा का संस्कार

फींच में मामा भागीरथ विश्नोई के पास मैट्रिक और जोधपुर में चाचा महीराम और चाची पप्पू देवी के पास रहकर स्नातक की शिक्षा पूरी की। बचपन से ही विरासत में मिले वन्यजीव सेवा व धार्मिक संस्कारों की बदौलत वन विभाग में सेवाएं देने का लक्ष्य निर्धारित किया।

कड़ी मेहनत और अध्ययन के बाद आखिरकार निरमा को मंजिल मिल गई। वनरक्षक भर्ती परीक्षा व अन्य साक्षात्कार के बाद मार्च 2016 में उसका चयन होने के बाद से ही अब तक करीब 200 से अधिक घायल वन्यजीवों को रेस्क्यू सेंटर लाने में अहम भूमिका निभा चुकी है।

गोद में बैठा कर पहुंचाती है रेस्क्यू संेटर

वन्यजीव नियंत्रण कक्ष में घायल वन्यजीवों की सूचना मिलने पर घटना स्थल पहुंचने के बाद धूप में बैठे घायल वन्यजीव के लिए छाया का प्रबंध करती है। प्राथमिक उपचार के बाद घायल वन्यजीव को सावधानीपूर्वक उठाकर रेस्क्यू वाहन में वन्यजीव चिकित्सालय तक पहुंचाती है। यदि घायल वन्यजीव चिंकारे का बच्चा (छौना) हो तो उसे पूरी सावधानी के साथ गोद में बैठाकर चिकित्सालय तक पहुंचाती है, ताकि उसे किसी तरह का धक्का ना लगे और शॉक से उसकी मौत ना हो।

घायल वन्यजीव के उपचार के बाद उसके स्वास्थ्य में प्रगति और कुशलक्षेम की जानकारी सहकर्मियों से प्राप्त करती है। यही कारण है कि अल्प समय में वन्यजीवों के प्रति सेवा और समर्पण देखते हुए खेजड़ली मेले के दौरान अखिल भारतीय विश्नाई महासभा की ओर से सम्मानित किया गया।

खास तौर पर जो वन्यजीव के बच्चे अनाथ हो जाते हैं, उनका लालन-पोषण ममत्व और स्नेहिल भाव से करती है। निरमा ने बताया कि वन्यप्राणियों की सेवा से जुडऩे में राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित वन्यजीवों के समाचार भी प्रेरणास्रोत रहे हैं।

जीवितता प्रतिशत ज्यादा

वन्यजीव उडऩदस्ता रेस्क्यू टीम की सदस्य निरमा की ओर से लाए जाने वाले घायल वन्यजीवों की जीवितता प्रतिशत की दर ज्यादा है। कुत्तों के हमलों व वाहन दुर्घटनाओं में मारे जाने वाले चिंकारों के अनाथ छौनों के लिए निरमा ड्यूटी के अलावा अतिरिक्त समय देकर ममत्व भाव से उनकी नियमित देखभाल भी करती है।

डॉ. श्रवणसिंह राठौड़, वन्यजीव चिकित्सक, जोधपुर

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad

Responsive Ads Here