बिश्नोई धर्म से प्रेरित होकर ब्रूनो ने अपना सरनेम बिश्नोई लगाया - Jambhani Samachar

Breaking

Post Top Ad

Post Top Ad

Friday 17 February 2017

बिश्नोई धर्म से प्रेरित होकर ब्रूनो ने अपना सरनेम बिश्नोई लगाया

संवाददाता
रामकिशन बिश्नोई

श्रीगंगानगर,
15वीं शताब्दी में यूरोपियन देशो में विज्ञानं और धर्म के मध्य द्वन्द था और एशिया के पश्चमी पूर्वी देशो के लोग पाखण्ड, आडम्बर, अंधविश्वासी व धर्मान्ध होकर युद्ध का प्रचार बढ़ाने में लगे थे। उस समय सिर्फ विश्नोई धर्म के अनुयायी ही वन्यजीवों व वृक्षो में जीवन की विधि को देख रहे थे। पहले तो फेसबुक को महान धन्यवाद जिसने वर्तमान में सभी विशाल महाद्विपो के देशो को एक झोपड़े की संज्ञा ढाल दिया।
तकरीबन एक वर्ष पूर्व से श्री गुरु जम्भवाणी जन जागृति मंच के युवाओ से स्विट्ज़रलैंड के रहने वाले एक दार्शनिक से जुड़ा जिनका नाम ब्रूनो हैं। ब्रूनो जी बहुत समय से जनकल्याण कार्यों से जुड़े हुए हैं। ब्रूनो जी वर्तमान में पर्यावरण सरक्षण के लिए कर रहे हैं। रोज ब्रूनो से बातचित और सबदवाणी के उत्तम विचारो के आदान प्रदान होने के बाद और इंटरनेट पर विश्नोइज़्म की जानकारी मिलने के बाद ब्रूनो की जिज्ञासा और बढ़ने लगी। ब्रूनो को विश्नोई विचारधारा बहुत ही अच्छी लगी। ब्रूनो शुद्ध शाकाहारी हैं व दया धर्म में आस्था रखते हैं। ब्रूनो जी ने धीरे-2 विश्नोई जीवनशैली अपना लिया व् जींवो के प्रति यह चेष्टा दिनों दिन बढ़ती ही गयी। फिर उन्होंने भारत आने का निर्णय किया। मंच के सदस्यों ने इस विषय में रूचि को बढाया। मंच ने विश्नोई साहित्य को डिजिटल करवाकर भेजना शुरू किया। जब ब्रूनो पूर्वी एशिया के देश कम्बोडिया गये, वहां के पर्यावरण सरक्षण के कार्यकर्ताओं से मिले। वर्तमान में ब्रूनो जी का कम्बोडिया में बच्चो की शिक्षा को बढाने के लिए एक न.जी.ओ (N.G.O) चला रहे हैं। वहां कम्बोडिया के एक विश्वविधालय में उन्होंने वक्ता के रूप में ब्रूनो जी ने पर्यावरण सरक्षण के विषय में विश्नोई विषय रखा। वहाँ के सभी श्रोता आश्चर्यचकित रह गए। ब्रूनो ने वहां अपने विचार साझा किए। 
भारत आने के बाद ब्रूनो जी श्री गुरु जम्भवाणी जन जागृति मंच के युवाओ से बीकानेर में मिले। फिर ब्रूनो जी ने विश्नोइज़्म को जानने के लिए रासीसर, मुकाम, समराथल, पीपासर, जांगलू एक दिवसीय भृमण किया।  ब्रूनो जी ने संभराथल धोरे पर पाहळ लेकर दीक्षित हुए व स्वेच्छा अपना नाम ब्रूनो विश्नोई रख लिया। Bruno Bishnoi को मुकाम में जाम्भाणी साहित्य भेंट किया गया। इसके बाद ब्रूनो विश्नोई जी श्री गंगानगर के लिए रवाना हुए, श्री गंगानगर में ब्रूनो विश्नोई का स्वागत किया गया और साहित्य भेट किया गया। ब्रूनो ने नई विश्नोई जीवनशैली अपनाने का श्रेय सोशल साइट और श्री गुरु जम्भवाणी जन जागृति मंच के सदस्यों को दिया। ब्रूनो विसनोई पंथ में आने के बाद विचारोतेजक, उत्साहवर्धक महसूस कर रहे हैं। ब्रूनो विश्नोई ने बताया कि सतगुरु जम्भेश्वर जी ने जाति, नस्ल, भाषा, प्रजाति, पहनावे इत्यादि भेदभावों को अनदेखा कर उच्च विचारो और उतम जीवनशैली का बीजारोपण किया। ब्रूनो विश्नोई को प्रकृति की रक्षा के लिए शहीद होने वाले 363, बुचो जी, कर्मा गौरा, शैतान सिंह विश्नोई इत्यादि के बारे में विस्तार से बताया गया। ब्रूनो विश्नोई को विश्नोई पहनावे, भाषा, 29 नियम, सबदवाणी के बारे में विस्तार से बताया गया। ब्रूनो जी ने श्री गंगानगर यात्रा में डाबला गांव का भृमण किया। जहां उन्हें साहित्य देकर समानित किया। ब्रूनो जी ने यहाँ के लोगो को बताया कि यह सतपंथ प्रतेयक व्यक्ति को समानता का अधिकार देता हैं। ब्रूनो ने बताया कि अगर विश्व में शांति और पर्यावरण के चक्र को बनाये रखना हैं तो विश्नोइज़्म एक बेहतर विकल्प हैं।

1 comment:

  1. Im prodding to mi bishnoi jai guru Dev नमन प्रणाम सभी जीव प्रेमियों को जय गुरूदेव

    ReplyDelete

Post Top Ad

Responsive Ads Here