सुदेवानंद जी आचार्य बिश्नोई पंथ की स्थापना सतयुग में हुई- बिश्नोई न्यूज़ - Jambhani Samachar

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Monday 26 September 2016

सुदेवानंद जी आचार्य बिश्नोई पंथ की स्थापना सतयुग में हुई- बिश्नोई न्यूज़

संवाददाता

श्रवण बिश्नोई 

कथा ज्ञान यज्ञ में उमड़ा जनसैलाब

मायलावास के पास फूलण गांव में आयोजित हो रही श्रीमद् जंभवाणी भागीरथी कथा ज्ञान यज्ञ में दूसरे दिन जनसैलाब उमड़ पड़ा। भगवान जांभोजी महाराज के जयकारों कीर्तन व संगीतमय वातावरण से फूलण मंदिर गुंजायमान हो गया। ज्योतिषाचार्य सुदेवानंद महाराज ने कथा का वाचन करते हुए कहा की बिश्नोई पंथ की स्थापना सतयुग में हुई उन्होंने चारों युगों में विश्नोई पंत का स्वरूप बताते हुए कहा की सतयुग में भक्त प्रहलाद के साथ 33 करोड़ लोगों ने भगवान विष्णु की भक्ति की थी। नृसिंह अवतार लेकर भगवान विष्णु ने सबका मोक्ष करने का वचन प्रहलाद को दिया था। उन वचनों के अनुसार सतयुग में प्रहलाद के साथ पांच करोड़ जीवों का उद्धार हुआ। त्रेतायुग में राजा हरिश्चन्द्र के साथ सात करोड़ भक्तों का उद्धार किया। द्वापर युग में धर्मराज युधिष्ठिर के साथ नौ करोड़ भक्तों का उद्धार हुआ। शेष बचे 12 करोड़ भक्तों के कारण भगवान विष्णु ने जम्भेश्वर के रूप में अवतार धारण किया और सवा पिच्यासी वर्षों तक भगवान जम्भेश्वर के रूप में विद्यमान रहकर 12 करोड़ भक्तों का उद्धार किया। 29 नियमों को जीवन में धारण करते हुए बिश्रोई धर्म की स्थापना की बिश्नोई बने जो आज वर्तमान बिश्रोई समाज है। इस क्रम के अनुसार और भगवान विष्णु के वचनों के अनुसार बिश्रोई समाज प्रहलाद पंथी है इस दौरान मंदिर कमेटी अध्यक्ष हरलाल वरड़, सचिव सुखराम वरड़, आसुराम जांगु, विरमाराम पुनिया, विरधाराम खावा, आसुराम कावा, सहित आसपास के कई गांवों के लोगों ने कथा का लाभ लिया।

फोटू-  फूलण मंदिर में कथा का वाचन करते आचार्य सुदेवानंद व इनसेट में रौशनी से जगमगाता मंदिर

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