संतो के बधावने के साथ जम्भवाणी भागीरथी हरिकथा शुरु:- Bishnoi News - Jambhani Samachar

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Sunday 25 December 2016

संतो के बधावने के साथ जम्भवाणी भागीरथी हरिकथा शुरु:- Bishnoi News

संतो के बधावने के साथ जम्भवाणी भागीरथी हरिकथा शुरू

कलश यात्रा निकाल कर संतो का किया बधावना,सैकडो लोग हुए शामिल।

वैदिक मत्रोचार के साथ कथा का शुभारंभ ।,
माता पिता एव गुरु की सेवा ही इस संसार से  पार  उतरा जा सकता है :- आचार्य सुदेवानंद

संवाददाता
लक्ष्मण सिंह बिश्नोई

बिश्नोई न्यूज तिलवासनी -- निकटवर्ती तिलवासनी गाव के गुरु जम्भेश्वर मंदिर प्रांगण मे रविवार को जम्भवाणी भागीरथी हरिकथा का शुभारंभ कथावाचक  आचार्य सुदेवानंद के संनिध्य मे संत मंहत नृसिंह दास तिलवासनी,संत  अनूपदास रावर,संत शान्ति दास कोसाणा की मोजुदगी मे वैदिक मत्रोचार के साथ हुआ ।इस दोरान अनेक विश्नोई समाज के लोग मोजूद थे , इस दोरान आयोजित कथा मे प्रवचन करते हुए कथा वाचक  आचार्य सुदेवानंद ने कहा कि इस संसार सागर से पार  उतरना है तो माता, पिता एव गुरूदेव की सेवा करो, यह सेवा ही मुक्ति का एक मात्र मार्ग है , आधुनिक तकनीक के युग मे लोग अपने धर्म से हट रहे है जो हमारे लिए एक महत्वपूर्ण चिंतन की बात है, हमे गुरू जम्भेश्वर भगवान के बताए रास्ते पर चलते रहना चाहिए, शब्दवाणी का उल्लेख करते हुए आचार्य सुदेवानंद ने कहा कि अठसठ तीर्थ हिरदा भीतर, बाहर  लोकाचारू अर्थात भगवान ह्रदय के भीतर निवास करते है , भगवान को कही बाहर ढुढने की आवश्यकता नही है, विष्णु के नाम को जीवन मे धारण करके जीवन को सफल बनाया जा सकता है ।कथा श्रवण करने के लिए आसपास के लाम्बा, तिलवासनी, चिरडाणी,रावर, कापरडा सहित अनेक गाव के विश्नोई समाज के  लोग  उपस्थित थे ।
यह जम्भवाणी हरिकथा  25 दिसंबर से 31 दिसंबर तक चलेगी, कथा वाचन का समय दोपहर बारह बजे से दोपहर तीन बजे तक रहेगा ।शनिवार को भव्य जागरण का आयोजन किया जाएगा, तथा 31 दिसंबर को सम्मान समारोह आयोजित किया जाएगा,

कलश यात्रा निकाल ढोल नगाडो के साथ किया संतो का स्वागत सत्कार एव बंधावना . सुबह दस बजे जब कथा वाचक  एव संत मंडली तिलवासनी पहुचे तो कथा आयोजन समिति के अध्यक्ष महंत नृसिंह दास के नेतृत्व मे संतो का मुख्य बस स्टैंड पर फूल माला पहनाकर एव ढोल नगाडो के साथ भव्य स्वागत किया गया , एव सैकडो विश्नोई समाज की महिलाओ ने कलश यात्रा निकालकर पुष्प वर्षा करते हुए ढोल नगाडो के साथ संतो का बधावना करते हुए  मुख्य बस स्टैंड से कथा स्थल जम्भेश्वर मंदिर तक लाया गया ।

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