संवाददाता:- राधेश्याम पैमाणी
ये गर्मी और मौत का दंश:-
रेगिस्तान की तपन बेहाल किए जा रही है। दुर - दूर पसरी ढाणियों में पंखे और कूलर बेअसर है।लोग घरों से बाहर निकलना मुनासिब नहीं समझते । ऐसे में रेगिस्तानी जिले जैसलमेर में कुत्तों के हौसले सातवें आसमान पर है।गर्मी की सुनसान का फायदा उठाकर हिरण जैसी दुर्लभ प्रजाति को खत्म करने पर तुले हुए हैं - कुत्ते ।
जैसलमेर के धोलिया गाँव में रोज की कहानी:-
यह कहानी जैसलमेर के धोलिया गाँव में रोज की कहानी है। आज दिन में पर्यावरण प्रेमी राधेश्याम पेमाणी जब हालात जानने निकले तो दंग रह गए.... उनकी रूहा कांप उठी। अट्ठारह हिरण मौत की नींद सो चुके थे । कुत्तों से भला कैसे जंग जीती जाए.... निरीह प्राणी हमेशा ही इसी तरह मौत की घाट उतार दिए जाते हैं ।
कोई नहीं तारनहार:--
क्षेत्रवासियों की पुकार को सुनने वाला कोई नहीं है। वन विभाग के अधिकारियों से कई बार गुहार लगाई गई....सरकार तक भी बात पहुँचाई गई । लेकिन ऐसी असंवेदनशीलता कभी नहीं देखी गई....।
कब जागेगी सरकार:-
इंतजार की भी हद होती है । और इंतजार कहां जायज है जब मौत रोकने के लिए गुहार लगाई जा रही हो।भ्रष्ट व्यवस्था के कानों जूं तक नहीं रेंगती।
एक दिन रेगिस्तानी नक्शे से मिट जाएगी चिंकारा की प्रजाति:-
अगर यही हाल रहा तो हिरण नाम की प्रजाति रेगिस्तान से मिट जाएगी । सरकारें और स्वयंसेवी संस्थाएं - विश्व पर्यावरण दिवस , पृथ्वी दिवस , वन्यप्राणी संरक्षण सप्ताह मनाते रहते हैं । खूब बातें होती है लेकिन धरातल पर काम के नाम पर कुछ नहीं होता है।
jay jambeshwar bhagwan namo
ReplyDeletejay guru dev
Deletejay guru dev
Delete